दुनिया की सबसे ठंडी जगह जहां बच्चे स्कूल जाते हैं, -50 डिग्री तापमान में भी पैरों पर बर्फ जम जाती है।
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पृथ्वी पर सबसे ठंडा बसा हुआ स्थान: रूस के शहर ओम्याकॉन में सर्दियों का औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस होता है. यहां बच्चे तब तक स्कूल जाते हैं जब तक तापमान -52 डिग्री तक नहीं गिर जाता. लोग मांस खाते हैं और अपने वाहन 24 घंटे चलाते रहते हैं. सर्दियों में दिन में केवल 3 घंटे ही रोशनी होती है. गर्मियों में तापमान -10 डिग्री रहता है.
पृथ्वी पर सबसे ठंडा बसा हुआ स्थान: उत्तर भारत में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. सुबह के समय दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर कोहरा छाया रहता है. यहां तापमान तीन या चार डिग्री पर पहुंच जाए तो माना जाता है कि ठंड अपने चरम पर पहुंच गई है. हालांकि, उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में स्थिति अलग है. यहां तापमान शून्य से नीचे जाने पर भारी बर्फबारी होती है. लेकिन दुनिया में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां हमेशा कड़ाके की ठंड रहती है. इनमें एक जगह ऐसी भी है जहां सर्दियों में तापमान कभी-कभी -60 डिग्री तक पहुंच जाता है. हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे ठंडे रिहायशी इलाके रूस के शहर ओम्याकॉन की. रूसी भाषा में ओम्याकॉन का मतलब होता है जो कभी जमता नहीं है. लेकिन अपने नाम के विपरीत ओम्याकॉन लगभग हर मौसम में जम जाता है. रूसी शहर ओम्याकॉन में सर्दियों का औसत तापमान लगभग -50 डिग्री सेल्सियस रहता है. हालांकि, भीषण ठंड के बावजूद इस शहर में करीब 500 लोग रहते हैं. सर्दियों के दिनों में पलकों पर बर्फ जम जाती है.
यहां लोग अपने वाहनों को 24 घंटे चलाते रहते हैं. क्योंकि एक बार बंद होने के बाद उनका इंजन स्टार्ट नहीं होता. कई बार जब मैं यहां से बाहर निकलता हूं तो ठंड से आंसू निकल आते हैं और जम जाते हैं. यहां लोग सिर्फ मांस खाते हैं. इस शहर के निवासियों को कई बदलावों का सामना करना पड़ता है जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. इस शहर को राजधानी याकुत्स्क के बाद से दुनिया का सबसे ठंडा बसा हुआ इलाका माना जाता है. यहां रहने वाले लोगों के खान-पान से लेकर रहन-सहन तक सब कुछ खास है. भीषण ठंड के कारण यहां के निवासी जिंदा रहने के लिए सिर्फ मांस खाते हैं. वो भी हिरन और घोड़े का. हिरन के मांस के अलावा आपको यहां कई तरह के जमे हुए मांस भी मिल सकते हैं. यहां आपको मछली से लेकर कबूतर तक सब कुछ मिल जाएगा. जिंदा रहने के लिए यहां के लोग कुछ भी खा लेते हैं जिससे उन्हें गर्मी मिले। यहां फ्रिज की जरूरत नहीं पड़ती। लोग आइसक्रीम, मीट और मछली को खुली हवा में रखते हैं, जो महीनों तक ताजा रहती है।
-50 डिग्री पर खुलता है स्कूल इस कस्बे में बच्चों के लिए एक स्कूल भी है। यहां का औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। इतने कम तापमान के बावजूद यह स्कूल तब तक चलता रहता है जब तक तापमान -52 डिग्री सेल्सियस नहीं पहुंच जाता। यहां ठंड इतनी ज्यादा होती है कि सर्दियों में व्यायाम करना भी मना है। क्योंकि इतने ठंडे मौसम में पसीना आना मौत का कारण भी बन सकता है।
यहां दिन में सिर्फ 3 घंटे ही रोशनी रहती है। सर्दियों में दिन में मुश्किल से तीन घंटे ही रोशनी रहती है। बाकी समय अंधेरा रहता है। हालांकि, गर्मी के मौसम में दिन में 21 घंटे रोशनी रहती है और रात सिर्फ तीन घंटे की होती है। साइबेरिया के याकूतसा क्षेत्र के पास स्थित यह कस्बा हमेशा दुनिया भर के लोगों के लिए शोध का विषय रहता है। लोग आश्चर्य करते हैं कि इतने ठंडे मौसम में लोग कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं, क्या सोचते हैं। इस जगह को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के ख्याल आते रहते हैं। 2015 में न्यूजीलैंड से फोटोग्राफरों की एक टीम यहां आई थी। ठंड के कारण वे काफी देर तक होटल से बाहर नहीं निकले।
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