पैसा ही पैसा! बस उगाइए ये चाइनीज संतरे, एक पेड़ देता है 250 किलो फल
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चीन में संतरे की खेती: उत्तर 24 परगना के बशीरहाट में लाल संतरे की खेती ने नया आयाम ले लिया है. आपको बता दें कि ये संतरे न केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि बेहद पौष्टिक भी हैं. चीनी संतरे की खेती ने किसानों के लिए आय के नए रास्ते खोल दिए हैं.
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बशीरहाट में लाल संतरे (राम रंगन या चीनी संतरे) की खेती ने सभी का ध्यान खींचा है. आमतौर पर कच्चे संतरे हरे और पके संतरे पीले-नारंगी रंग के होते हैं लेकिन इस बार लाल संतरे की खेती ने उन्हें खास बना दिया है. आपको बता दें कि घर के आंगन या छत पर लगे इन संतरे के पेड़ों का गुच्छा सभी को खुश कर देगा और घर की खूबसूरती भी बढ़ाएगा.
देखने में सुंदर और पौष्टिकता से भरपूर.
आपको बता दें कि संतरे की यह खास किस्म न सिर्फ अपने आकर्षक रंग और आकार से प्रभावित करती है, बल्कि स्वाद और पोषण में भी बेहतरीन है। संतरे की मिठास और इसके स्वास्थ्य लाभ इसे अनोखा बनाते हैं।
प्रायोगिक खेती से अच्छी प्रतिक्रिया
बशीरहाट अनुमंडल के हरिसपुर पश्चिमपाड़ा वार्ड नंबर 16 स्थित प्रभाती नर्सरी में इस विशेष प्रजाति की प्रायोगिक खेती शुरू की गई है। उद्यमी आनंद मंडल ने कहा कि उन्हें इस खेती से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। वे भविष्य में बड़े पैमाने पर इसकी व्यावसायिक खेती करने की योजना बना रहे हैं।
कुमकुम के विशेष गुण
कुमकुम पकने के साथ ही रंग बदल लेते हैं। पेड़ पर पूरी तरह पकने पर इनका रंग पीले से लाल हो जाता है। पेड़ पर पकने के बाद तोड़े गए संतरे मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। कुमकुम के पेड़ दो साल की उम्र में फूल और फल देना शुरू कर देते हैं।
उत्पादन समय और क्षमता
पहली बार फूल आने के बाद फलों को पकने में करीब 6 महीने लगते हैं। जब पेड़ ढाई साल का हो जाता है, तो उससे 40-45 किलो फल प्राप्त किए जा सकते हैं। हर साल उत्पादन बढ़ता है। एक पूर्ण विकसित पेड़ से 80-100 किलो तक फल प्राप्त किए जा सकते हैं, जबकि अधिक परिपक्व पेड़ से 200-250 किलो तक संतरे प्राप्त किए जा सकते हैं।
व्यावसायिक खेती की अपार संभावनाएँ
आने वाले दिनों में इस विशेष फल की व्यावसायिक खेती की प्रबल संभावनाएँ हैं। यह खेती किसानों और उद्यमियों के लिए आय का एक बड़ा स्रोत बन सकती है।
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